रिपोर्ट : अजीत कुमार
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् की प्रस्तुति 8वां दिल्ली इंटरनेशनल जैज़ फेस्टिवल 2019 लोकप्रिय बैंड्स और पूरी दुनिया के जाने-माने कलाकारों के साथ एक बार फिर लौट आया है। अपनी भव्यता और चमक-दमक के लिए लोकप्रिय यह फेस्टिवल बेहद खूबसूरत दिल्ली में लगातार तीन दिनों तक जाने-माने बैंड और कलाकारों द्वारा अपनी जबरदस्त प्रस्तुतियों के साथ आयोजन किया जाएगा।
ऐतिहासिक धरोहरों के आलीशान शहर में 1 मार्च से शुरू होने वाले इस फेस्टिवल में पिछले 7 संस्करणों के दौरान दुनिया के विभिन्न हिस्सों से 1,00,000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। इस वर्ष फेस्टिवल ने जर्मनी, माॅरीशस, इज़रायल, कोरिया, मोरक्को, स्पेन, थाईलैंड, सीरिया, ट्यूनीशिया, कज़ाखस्तान, ऑस्ट्रिया और भारत समेत 12 देशों के कलाकारों के साथ दिलचस्प मनोरंजन का भरोसा दिया है जिससे आगंतुकों को पूरी दुनिया से समसामयिक जैज़ का स्वाद मिल सके। राजसी शान और खूबसूरती को एक साथ मिलाकर जैज़ के शौकीन इन देशों के लोकप्रिय बैंड्स की लाइव प्रस्तुतियों का आनंद ले सकेंगे जो फ्यूज़न इंस्ट्रूमेंटेशन तैयार करेंगे और दर्शकों को सुखद अनुभव मुहैया कराएंगे। फेस्टिवल के खत्म होने के बाद ये बैंड देशभर के 22 षहरों में परफाॅर्म करेंगे जिनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरू, भुवनेश्वर, गोवा, चेन्नई, अहमदाबाद, भोपाल, लखनऊ, पोर्ट ब्लेयर, वडोदरा, हैदराबाद, इलाहाबाद, त्रिवेंद्रम, चंडीगढ़, जयपुर, शिलाॅन्ग, गुवाहाटी, वाराणसी, पटना और मैसूर शामिल हैं।
प्रसिद्ध संगीतज्ञ नीना सिमोन ने कहा है, ’’जैज़ सिर्फ संगीत नहीं है, यह जीवन जीने का तरीका है, यह सोचने का तरीके का एक तरीका है।’’ 2011 से आयोजित किया जा रहा यह फेस्टिवल भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा प्रत्येक वर्ष आयोजित किए जाने वाले प्रमुख आयोजनों में से एक है जो परिषद द्वारा भारत में वैश्विक सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा देने और दिल्ली के निवासियों को ’’जैज़ इन द पार्क’’ का स्वादभरा अनुभव मुहैया कराने के उद्देश्य से न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे भारत एवं विदेशों के आमंत्रितों को आनंदमय और मजेदार सांस्कृतिक अनुभव मुहैया कराने सतत प्रयासों के अंतर्गत आयोजित किया जाता है। 2011 से दिल्ली इंटरनेशनल जैज़ फेस्टिवल को न सिर्फ दर्शकों से शानदार प्रतिक्रिया मिली बल्कि यह एक प्रभावशाली संगीतमय आयोजन के तौर पर भी उभरा है जो विभिन्न नस्लों, पृष्ठभूमि और संस्कृतियों के लोगों को एकजुट करता है और इसके साथ ही देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों के दर्शकों को आकर्षित करता है।
आईसीसीआर का मानना है कि संगीत अन्य देशों के साथ रचनात्मक संवाद में अहम भूमिका निभा सकता है। ऐसे फेस्टिवल अन्य देशों की संस्कृतियों को समझने में हमारी मदद करते हैं और हमारे अपने लोगों को विश्वस्तरीय कलाकारों से संवाद करने का मौका भी देते हैं।
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की स्थापना स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद द्वारा 9 अप्रैल 1950 को की गई थी। परिषद का उद्देश्य देश के बाहरी सांस्कृतिक संबंधों के संबंध में नीतियों और कार्यक्रमों को बनाने और क्रियान्वयन में हिस्सा लेना, भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक एवं आपसी समझ को बढ़ावा देना और मजबूती देना, अन्य देशों और लोगों के साथ सांस्कृतिक लेनदेन को बढ़ावा देना, संस्कृति के क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ संबंध स्थापित और विकसित करना और इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जरूरी ऐसे ही अन्य उपाय करना है।
आईसीसीआर संस्कृतियों का सामूहिक संगठन और अन्य देशों के साथ रचनात्मक संवाद का साधन है। विश्व संस्कृतियों के साथ इस संवाद को बढ़ावा देने के लिए परिषद की कोशिश दुनिया के देशों में और उनके साथ भारत की संस्कृति की विविधता और समृद्धि को प्रदर्शित करने की है। परिषद को सांस्कृतिक कूटनीति और भारत व साझेदार देशों के बीच बौद्धिक आदान-प्रदान का प्रायोजन करने में लगा प्रमुख संस्थान होने का गर्व है। परिषद का संकल्प आने वाले वर्षों में भारत के महान सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक विरासत का प्रदर्शन करना जारी रखने का है।