रिपोर्ट : अजीत कुमार
भारत का सदियों से अफ्रीका के साथ मजबूत संबंध रहा है और हाल के समय में हमारी विकास और आर्थिक साझेदारी मजबूत हुई है। भारत और अफ्रीकी देश समावेशी विकास, व्यापार तथा निवेश तथा मजबूत आर्थिक साझेदारी में समान हित साझा करते हैं। यह बात दिल्ली में केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने भारत-अफ्रीका रणनीतिक आर्थिक सहयोग पर संवाद सत्र को संबोधित करते हुए कही।
सुरेश प्रभु ने कहा कि अफ्रीका और भारत के बीच व्यापार में शानदार वृद्धि अनेक कारणों से हुई है, इनमें अफ्रीकी तथा भारतीय कॉरपोरेट द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश तथा भारत सरकार द्वारा 2002 में अफ्रीका और भारत के बीच व्यापार और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए उठाये गये अनेक रणनीतिक कदमों विशेषकर ‘फोकस अफ्रीका’ कदम से आर्थिक और राजनीतिक संबंधों में प्रगाढ़ता है। अन्य कारणों में 2008 में भारत सरकार द्वारा अति पिछड़े देशों के लिए ड्यूटी फ्री शुल्क वरीयता योजना शामिल है, जिससे 34 अफ्रीकी देशों को लाभ मिला।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि हाल के भारत-अफ्रीका व्यापार संबंधों से भारत और अफ्रीका के बीच तालमेल दिखता है। अफ्रीका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई है। यह 2001 में 7 बिलियन डॉलर था, जो 2014 में 78 बिलियन डॉलर हो गया।
प्रभु ने कहा कि ये कदम द्विपक्षीय व्यापार के लिए अच्छे रहे, लेकिन अभी व्यापार की काफी संभावना है। एक्जिम बैंक ऑफ इंडिया तथा एफ्रेजिम बैंक द्वारा किये गये संयुक्त अध्ययन के अनुसार भारत और अफ्रीका के बीच 42 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार की संभावना है।
सुरेश प्रभु ने कहा कि इस विशाल क्षमता के दोहन के लिए चौतरफा रणनीति की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अफ्रीका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार बनाने की कोई भी रणनीति विभिन्न विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्रों में मूल्य श्रृंखला के एकीकरण की संभावना पर निर्भर करेगी। वाणिज्य मंत्री ने आशा व्यक्त की कि बढ़ते अफ्रीका और उभरते भारत दक्षिण-दक्षिण सहयोग को नया आयाम देंगे। उन्होंने अफ्रीका में सही निवेश की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर वाणिज्य सचिव डॉ. अनूप वधावन ने कहा कि अफ्रीका-भारत के आर्थिक संबंध मजबूत हुए हैं और यह साझेदारी नये युग में प्रवेश की है, जो मजबूत आर्थिक संबंधों और परस्पर विश्वास पर आधारित विकास साझेदारी को रेखांकित करता है।
डॉ. वधावन ने कहा कि महाद्वीप में भारत महत्वपूर्ण विकास साझेदार के रूप में उभरा है और विकास सहायता में कई गुना वृद्धि हुई है। भारत सरकार द्वारा दिये जाने वाले संचालन ऋण (एलओसी) में अफ्रीकी देशों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। वाणिज्य सचिव ने कहा कि भारतीय विकास सहायता में यह वृद्धि उस समय हो रही है, जब अनेक विकसित देशों की विदेशी सहायता में गिरावट आ रही है।