रिपोर्ट : अजीत कुमार
'प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत के विजन को साकार करना सुनिश्चित करने के लिए आयुष्मान भारत के दोनों स्तंभों के बीच त्रुटिहीन एकीकरण होना आवश्यक है'। यह बात केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने स्वास्थ्य एवं आरोग्य केन्द्र (एचडब्ल्यूसी) और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) सहित आयुष्मान भारत के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा करते समय कही। उन्होंने कहा, 'प्रधानंत्री ने इस योजना की परिकल्पना देश के निर्धनतम और सबसे ज्यादा असहाय लोगों के स्वास्थ्य और आरोग्य के लिए की है।'
बैठक में डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि किसी भी तरह की धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'धोखाधड़ी और धन के दुरूपयोग को रोकने और इसमें कमी लाने के लिए कड़े नियंत्रण और संतुलन के उपाय किए जाएंगे' तथा योजना के लाभ गलत हाथों में पड़ने के खिलाफ कतई बर्दाश्त न करने की नीति अपनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा लक्षित समूह के एसईसीसी 2011 पर आधारित होने के कारण भले ही अनेक समूह इस योजना के दायरे से बाहर छूट गए हों। उन्होंने कहा, 'हमें इस योजना को और ज्यादा समावेशी बनाने के लिए सर्वेक्षण में छूट गए पात्र परिवारों को शामिल करने की दिशा में कार्य करने की जरूरत है।' डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि एनएचए की टीम को सर्वोच्च प्राथमिकताएं निर्धारित करनी चाहिए, जिनसे पहुंच और योजना का उपयोग ज्यादा व्यापक बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यह योजना देश के हरेक पात्र और जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस योजना की प्रगति और 13 सितंबर, 2019 को इसकी शुरूआत से लेकर छोटी सी अवधि में किये गए कार्यों की सराहना की। डॉ. हर्षवर्धन ने संभावित चुनौतियों और समयबद्धरूप से उनके समाधान खोजने के लिए एक कार्यबल के गठन के बारे में विचार-विमर्श करने की सलाह दी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी पात्र लाभार्थियों को पात्रता, इस योजना के लाभ उठाने के तरीकों के बारे में आवश्यक जानकारी दी जानी चाहिए। इसके अलावा सूचीबद्ध अस्पतालों में देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के प्रयास किये जाने चाहिएं। हमें मौजूदा केंद्रीय और राज्य योजना के साथ-साथ इस योजना को शामिल करने के लिए सभी अच्छे अस्पतालों को पैनल में शामिल करने के लिए प्रयास करने चाहिए।
डॉ. हर्षवर्धन ने यह भी निर्देश दिया कि पीएमजेएवाई के तहत विशेषरूप से टायर2 और टायर 3 शहरों में सूचीबद्ध अस्पतालों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रमुख 200 अस्पतालों के न्यूनतम दो-तिहाई अस्पताल पीएमजेएवाई के तहत सूचीबद्ध हों।
36 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में से 32 ने पीएमजेएवाई कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से अधिकांश राज्यों ने इस योजना का कार्यान्वयन शुरू कर दिया है। शेष राज्यों – दिल्ली, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को इस योजना में शामिल करने के लिए विचार-विमर्श किया जा रहा है। इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इन चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर उनसे अपने-अपने राज्यों के लोगों के लिए इस योजना के लाभ शुरू करने का अनुरोध किया है। उन्होंने मौजूदा राज्य योजना के साथ इस योजना के समावेशन के माध्यम से एकल योजना अपनाने में पूरी सहायता करने का आश्वासन दिया है।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्रों (एचडब्ल्यूसी) की समीक्षा करते समय विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा अमल में लाए जा रहे सर्वोत्तम तौर-तरीकों या पद्धतियों को देश भर में अपनाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर ऐसे 'जन आंदोलन/सामाजिक आंदोलन एम्बेस्डर' को तैयार करने की जरूरत है जिन्हें प्रणाली की अच्छी समझ हो और जिनमें देश के लिए काम करने की पूरी लगन हो क्योंकि यही लोग आगे चलकर समूचे समुदाय को प्रेरित करेंगे और सभी स्तरों पर स्वास्थ्य प्रणालियों के एकीकरण की दिशा में काम करेंगे। उन्होंने देश में एचडब्ल्यूसी के विस्तारीकरण की दिशा में हो रही प्रगति में तेजी लाने पर विशेष जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने इन केन्द्रों में लोगों को मुहैया कराई जा रही स्वास्थ्य सेवाओं की उच्च गुणवत्ता को बनाए रखने पर भी विशेष बल दिया।
समीक्षा बैठक के दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) प्रीति सूदन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के सीईओ इंदु भूषण तथा मंत्रालय एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित थे।