मादक पदार्थों के खतरों से युवाओं को आगाह करने के लिए विशेष अभियान चलाऐं – उपराष्ट्रपति

रिपोर्ट : अजीत कुमार


 



 


उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने स्कूल और कालेज के विद्यार्थियों जैसे संवेदनशील वर्गों में नशे तथा उसके दुष्परिणामों केप्रति जागरुकता फैलाने के लिए, विशेष अभियान चलाने का आह्वाहन किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक आर्थिक रुप से कमजोर वर्गोंके युवा प्राय: इस खतरे के शिकार हो जाते हैं, अत: उन पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।


मादक पदार्थों के सेवन तथा अवैध व्यापार के विरूद्ध अंतरराष्ट्रीय दिवस पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वाराआयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए नायडु ने मादक पदार्थों के बढ़ते प्रयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक अनुमानके अनुसार वर्ष 2016 में, विश्व भर में 15-64 आयु वर्ग के 275 मिलियन लोगों ने वर्ष भर में कम से कम एक बार मादक पदार्थों काउपयोग किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में लगभग 4.5 लाख लोग नशे की लतके कारण अपनी जान से हाथ धो बैठे।


उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों की लत के शिकार लोगों को शारीरिक, मानसिक व्याधियों, बीमारियों, असामयिक मृत्यु या शारीरिकदुर्बलता या अपंगता जैसी विषम स्वास्थ्य समस्याओं से जूझना पड़ता है जो न सिर्फ परिवार की आर्थिक विपन्नता बढ़ाती है बल्किसरकारी कोष पर भी बोझ बढ़ाती हैं और स्वास्थ्य चिकित्सा तंत्र के लिए गंभीर चुनौती प्रस्तुत करती हैं।


नशे की लत के परिणामों की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सिर्फ सरकारी एजेंसियों द्वारा किये जा रहे प्रयास ही इस चुनौतीका सामना करने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे। उन्होंने गैर सरकारी संगठनों, सिविल सोसाइटी तथा समर्पित स्वयंसेवी नागरिकों औरविशेषज्ञों से, इस खतरे को समाप्त करने में सरकारी प्रयासों में सहयोग करने का आह्वाहन किया।


नायडु ने कहा कि नशे की लत का उपचार एक बीमारी की तरह किया जाना चाहिए। जो इस आदत के शिकार हैं उन्हें परामर्श, सहानुभूतिपूर्वक स्नेह से इस लत से बाहर निकाल कर, पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए।


उन्होंने कहा कि अभिभावकों और शिक्षकों को समझाया जाना चाहिए कि बच्चे को अलग -थलग करने से या उसे नीचा दिखाने से तोयह समस्या और बढ़ेगी। नशे की लत से मुक्त लोगों के पुनर्वास में लगी गैर सरकारी संस्थाओं से अपील करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि वे ऐसे व्यक्तियों से सहानुभूति रखें और उन्हें समाज का उपयोगी नागरिक बनने में सहायता करें।


युवाओं को नशे की आदत छोड़नेके लिए प्रेरित करने के लिए - उनके पुनर्वास और पुर्नस्थापना की जरुरत पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने कारपोरेट सैक्टर से आग्रहकिया कि ऐसे व्यक्तियों को समाज के उपयोगी सदस्य के रूप में समाज की मुख्यधारा में वापस जोड़ने के लिए वह अपने CSR फंड काप्रयोग ऐसी गतिविधियों में करें।


इस अवसर पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद्र गहलौत, राज्य मंत्री रामदास आठवले, कृष्णपाल गुर्जर, श्रीरतन लाल कटारिया तथा विभाग की सचिव नीलम साहनी सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।