रिपोर्ट : अजीत कुमार
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चौपड़ा बसों की खरीद में हुई अनियमितता, चरमराई सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था व उसके चलते हुए दमघोटू प्रदूषण पर के पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी करेगे, यह घोषणा वरिष्ठ नेता व मुख्य प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन में की। राजधानी में डीटीसी की 1000 एसी बसों को खरीदने के लिए किए गए टेंडर को डीटीसी बोर्ड़ द्वारा अभी तक मंजूरी न मिलने के मामले पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस ने केजरीवाल सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली सरकार बसों की खरीद में एक और बड़ा घोटाला करने की तैयारी कर रही है। प्रदेश कांग्रेस का कहना है कि नई बसें खरीदने के तीन बार पहले भी टेंडर हुए लेकिन भ्रष्टाचार के चलते उन टेंडरों को भी अमली जामा नही पहनाया गया है।
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व परिवहन मंत्री अरविन्दर सिंह लवली, चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष कीर्ति आजाद, पार्टी के वरिष्ठ नेता व मुख्य प्रवक्ता मुकेश शर्मा प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में आयोजित एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे। उनके साथ कांग्रेसी नेता व कानूनी विद शिवानी चौपड़ा व मुदित अग्रवाल भी मौजूद थे।
लवली ने कहा कि सच तो यह है कि दिल्ली सरकार जिन नई बसों को खरीदने का ढिढ़ोरा पीट रही है उसके टेंडर कांग्रेस शासन काल में हुए थे। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2000 बसों के टेंडर किए गए थे जिनमें 300 बसे पहले आनी थी। अभी तक पहले कलस्टर की बसें भी नही आ पाई है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार के निकम्मेपन की चर्चा सड़क से संसद तक हो रही है लेकिन उनके कान पर जूं तक नही रेंगी है। उन्होंने दिल्ली के भाजपा सांसदों के संसद में हुई प्रदूषण की चर्चा पर गंभीर न होने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने भी दिल्लीवालों का मजाक उड़ाया है।
लवली, आजाद व मुकेश शर्मा ने कहा कि सच यह है कि जिन लो-फलोर 1000 एसी बसों के टेंडर किए गए थे, उसके बाद 300 इलेक्ट्रिक बसों के रख-रखाव का अक्टूबर माह में नया टेंडर आवंटित कर दिया गया। इसमें भी उन्हीं दो कपनियों ने हिस्सा लिया है। जिससे यह साबित होता है कि जानबूझ कर घोटाला करने की नियत से बसों की खरीद को लटकाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह आश्चर्य का विषय है कि पहले टेंडर में रख-रखाव की शर्त को नही जोड़ा गया और जब जोड़ा गया है तो सिर्फ 300 बसों को।
कांग्रेस का आरोप है कि बड़ा घोटाला करने की नियत से जानबूझ कर बार-बार शर्तों में बदलावा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 250 बसों का टेंडर केवल इसलिए रद्द हुआ क्योंकि गांरटी मनी जमा नही हुई। उन्होंने कहा कि पिछले पाँच सालों के दौरान केजरीवाल सरकार ने डीटीसी बसों का तीन टेंडर निकाला एक भी सफल नहीं रहा, 6 सितंबर को लो फ्लोर सीएनजी बसों का टेंडर खोला गया जो अभी फाईनेन्शल स्टेज पर है, इस टेंडर में दो कपनियों ने हिस्सा लिया था।
लवली, आजाद ने केजरीवाल सरकार को आड़े हाथो लेते हुए कहा कि 2013 में जब कांग्रेस ने दिल्ली में सरकार छोडी तो 46.77 लाख लोग प्रतिदिन सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते थे, जो आज घटकर 20-25 लाख प्रतिदिन पर आ गई है। उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल सरकार ने पिछले 5 सालों में नई बसें नही खरीदी हैं क्योंकि सरकार की नीति और नियत दोनो में खोट है। उन्होंने कहा कि 1845 बसें डीटीसी बेड़े से गायब हो गई हैं। उन्होंने आंकड़ो का हवाला देते हुए यह भी बताया कि 2013 के अंत में 5445 बसें पहले डीटीसी बेड़े में थी। जून 2019 की ईपीसीए की रिपोर्ट के अनुसार आज उनकी संख्या घटकर सिर्फ 3600 रह गई है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के फेल होने के कारण दिल्ली में वाहनों से निकलने वाला प्रदूषित धुंआ PM 2.5 प्रतिशत से बढ़कर PM 41 प्रतिशत हो गया है।
आजाद ने स्पष्ट रुप से आरोप लगाया कि ऑड इवन की आड़ में जिन 2000 बसों को किराये पर लिया गया था वो किसकी और उनको कितनी धनराशि दी गई यह एक जांच का विषय है, क्योंकि इसमें घोटाला हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां एक ओर नई बसों के न आने से दिल्लीवासी दमघोटू प्रदूषण से परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर केजरीवाल सरकार बेरोक-टोक बसों की खरीद में घोटाला करना चाहती है, जिसके चलते प्रक्रिया के मुताबिक अगले 52 महीनों तक नई बसों को सड़क पर नही उतारा जा सकेगा।
मुकेश शर्मा ने कहा कि कांग्रेस दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर जल्द ही एक तथ्यों के साथ केजरीवाल सरकार के कारनामों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी करेगी। उन्होंने कहा कि 2013 में आम जनता के लिए 590 बसों के रुट निर्धारित थे जिनकी संख्या घटकर 438 रह गई है। 152 बस रुट विशेष तौर पर दिल्ली के देहाती क्षेत्रों व गरीब बस्तियों के कम किए गए है। जिसके चलते गरीब जनता बुरी तरह परेशान है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार के निकम्मेपन के कारण 2015 से 2018 के बीच में निजी वाहनों की संख्या में 12.25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यानि निजी वाहनों की संख्या 92.2 लाख से बढ़कर 103.5 लाख हो गई है।
कांग्रेस नेता व एडवोकेट शिवानी चौपड़ा ने कहा कि केजरीवाल सरकार के खिलाफ अपने कर्तव्यों जानबूझ कर निर्वाहन न करने का अपराधिक मामला सीधे तौर पर बनता है। उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के कमजोर होने के कारण प्रदूषण खतरनाक स्थिति में पहुचा है जिसके चलते 58 व्यक्ति प्रतिदिन मर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि इस सरकार पर लोगों को जानबूझ कर मरने का मामला भी दर्ज होना चाहिए।
मुदित अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने दिल्ली में मेट्रों नही चलाई होती और सीएनजी बसों को डीटीसी बेड़े में शामिल नही किया होता तो आज दिल्ली में प्रदूषण की उस भयावह स्थिति का आंकलन करके शहर के लोग अपने आप से डरने लगते। उन्हेंने कहा कि केजरीवाल सरकार दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसे चलाने में पूरी तरह फेल साबित हुई है।