एयर मार्शल बी सुरेश ने एओसी-इन-सी के रूप में पश्चिमी वायुसेना कमान का कार्यभार संभाला

 


 



 


एयर मार्शल बी सुरेश, परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, वीएम, एडीसी ने दिनांक 1 नवम्बर को भारतीय वायुसेना की पश्चिमी वायुसेना कमान में बतौर एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ कार्यभार संभाला। एयर मार्शल ने गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया एवं इसके बाद भारतीय वायुसेना के उद्देश्यों तथा राष्ट्रहित के अनुरूप पश्चिमी वायुसेना कमान के लिये अपना नज़रिया प्रस्तुत किया।


एयर मार्शल एक बेहद प्रतिष्ठित अधिकारी हैं, उन्हें 2019 में राष्ट्रपति द्वारा परम विशिष्ट सेवा मेडल, 2005 में अति विशिष्ट सेवा मेडल एवं 2001 में वायुसेना मेडल प्राप्त हो चुका है। वह दिनांक 1 फरवरी को आदरणीय राष्ट्रपति महोदय के सहायक सैन्य अधिकारी नियुक्त हुए थे। एयर मार्शल ने 1972 में देहरादून में राष्ट्रीय इण्डियन मिलिट्री कॉलेज में शामिलहोने के बाद से पिछले 47 वर्षों से सैन्य वर्दी धारण की हुई है। एनडीए के छात्र रहने के बाद उन्होंने दिनांक 13 दिसंबर 1980 को भारतीय वायुसेना में बतौर लड़ाकू पायलट कमीशन प्राप्त किया ।


वह टैक्टिक्स एंड एयर कॉम्बैट डेवेलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट द्वारा 'स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' पुरस्कार प्राप्तकर्ता, डिफेंस सर्विसेज़ स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन से स्नातक एवं क्रैनफील्ड विश्वविद्यालय, श्रिवेनहम, युनाइटेड किंगडम से स्नातकोत्तर हैं। वह अत्यधिक अनुभवी लड़ाकू पायलट हैं एवं उन्होंने भारतीय वायुसेना के लगभग सभी लड़ाकू विमान एवं हेलिकॉप्टर उड़ाए हैं। उन्होंने वायुसेना की इस बेहद अहम कमान का कार्यभार एक महत्वपूर्ण समय पर संभाला है। अपनी नयी ज़िम्मेदारी में वह स्वयं के साथ वायुसेना की कार्रवाइयों के एक विशाल अनुभव की संपत्ति साथ लेकर आए हैं।


वह भारतीय वायुसेना के, युद्ध की स्थिति में वायु शक्ति के सभी घटकों द्वारा अपनाए जाने वाली विस्तृतहमलावर/ रक्षात्मक युद्धक रणनीतियों के प्रतिष्ठित संस्थान, 'टैक्टिक्स एंड एयर कॉम्बैट एस्टैब्लिशमेंट' (टीएसीडीई)' द्वारा प्रतिष्ठित 'जन सताजी स्वॉर्ड ऑफ ऑनर' पुरस्कार पाने वाले अधिकारी हैं । उन्होंने टीएसीडीई में तीन कार्यकाल देखे हैं जिनमें से अंतिम कमांडेंट ऑप द एस्टैबिल्शमेंट था जिस दौरान हवा से हवा में वार करने वाली बियोण्ड विज़ुअल रेंज मिसाइल की रणनीतियां निर्मित की गई थी ।


वह वायुसेना समुदाय में एक कुशल रणनीतिकार के रूप में जाने जाते हैं एवं युद्धाभ्यास निदेशक के तौर पर युद्धाभ्यास कॉप इंडिया 2004 में भारतीय वायुसेना के शानदार प्रदर्शन के पीछे के प्रमुख रणनीतिकार रहे हैं, यह युद्धाभ्यास अमेरिकी वायुसेना के साथ प्रथम अंतर्राष्ट्रीय द्विपक्षीय युद्धाभ्यास था जो लगभग 40 वर्षों के अंतराल के पश्चात आयोजित किया गया था। इसके बाद सिंगापुर गणराज्य की वायुसेना के साथ प्रथम द्विपक्षीय युद्धाभ्यास- सिण्डैक्स 2004में उन्हें पुनः युद्धाभ्यास निदेशक के रूप में नामांकित किया गया- जहां एक बार फिर भारतीय वायुसेना ने उच्च स्तरीय प्रदर्शन  किया।


एयर ऑफिसर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय वायुसेना के स्तर का उन्नयन करने में निभाई भूमिका का अनुमोदन राष्ट्रपति द्वारा प्राप्त पुरस्कार अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) के रूप में किया गया एवं इस प्रकार वह,बतौर ग्रुप कैप्टेन, राष्ट्रपति द्वारा मिलने वाले इस सम्मान को पाने वाले सबसे युवा अधिकारी बने ।  


अपने शानदार करियर में एयर मार्शल ने अनेक कमान एवं स्टाफ संबंधी प्रतिष्ठित दायित्व संभाले । उन्होंने एक फाइटर स्क्वैड्रन की कमान संभाली जो सामुद्रिक वायु हमलों की विशेषज्ञ है एवं जिसको करगिल युद्ध के दौरान पश्चिमी सीमा पर तैनात किया गया था । इसके पश्चात वह वायुसेना की सभी इकाईयों एवं अड्डों की युद्ध संबंधी तैयारी की देखरेख करने वाली संस्था डायरैक्टोरैट ऑफ एयर स्टाफ इंस्पेक्शन (डीएएसआई) में एक फ्लाइंग इन्स्ट्रक्टर बने।


एक ग्रुप कैप्टेन के रूप में उन्होंने 'टैक्टिक्स एंड एयर कॉम्बैट एस्टैब्लिशमेंट' (टीएसीडीई) की कमान संभाली । इसके बाद वह सेना के तीनों अंगों के बीच सहयोग को देखने वाले डायरेक्टर ऑपरेशन्स (ज्वाइंट प्लानिंग) नियुक्त हुए । अधिकारी ने बतौर एयर कोमोडोर पश्चिमी क्षेत्र में भारतीय वायुसेना के सबसे बड़े अड्डों में से एक अड्डे की कमान संभाली । वह भारतीय वायुसेना के प्रमुख के एयर असिस्टेंट भी रहे। एक एयर वाइस मार्शल के रूप में उन्होंने लगभग चार वर्ष तक असिस्टेंट चीफ ऑफ एयर स्टाफ (ऑपरेशन्स- एयर डिफेंस) का कार्यभार संभाला, जहां वह ट्राइ सर्विसेज़ ज्वाइंट ऑपरेशन्स कमिटी (जेओसीओएम) के वायुसेना सदस्य रहे । 


वर्ष 2014 में एयर मार्शल के रूप में पदोन्नत होने के बाद वह पश्चिमी वायुसेना कमान में सीनियर एयर स्टाफ अधिकारी नियुक्त हुए जहां उन्होंने, भारतीय सेना की तीन सहयोगी कमानों यानी- उत्तरी कमान, पश्चिमी कमान एवं दक्षिण पश्चिमी कमान- के बीच बढ़ते तालमेल के साथ,पश्चिमी वायुसेना कमान की युद्ध एवं कार्रवाई संबंधी तैयारी में कमाल का सुधार किया । वायुसेना मुख्यालय में एयर ऑफिसर इंचार्ज (कार्मिक) के रूप में उनके निर्णय एवं दूरदर्शिता ने महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ा है। उन्होंने अधिकारियों एवं एयरमैन के चयन हेतु ली जाने वाली परीक्षा क्रमशः AFCAT एवं STAR की ऑनलाइन प्रक्रिया की शुरुआत करने में प्रमुख भूमिका निभाई ।


पश्चिमी वायुसेना कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ के रूप में पदभार संभालने से पहले वह दक्षिणी वायुसेना कमान में  दिनांक 1 अगस्त 2018 से एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ नियुक्त थे । उनके नेतृत्व में दक्षिणी वायुसेना कमान ने अपनी प्रक्रिया एवं क्षमता में दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति की। केरल में आई बाढ़ के दौरान उनके नेतृत्व में 'समूची मानवीय सहायता एवं आपदा राहत' के प्रयास दक्षिणी वायुसेना कमान में देखे गए । हालिया इतिहास में यह भारतीय वायुसेना द्वारा संचालित सबसे बड़ामानवीय सहायता एवं आपदा राहत प्रयास था।


एयर मार्शल का विवाह राधा सुरेश से हुआ है एवं उनके एक बेटा तथा एक बेटी है। राधा सुरेश के पास विस्तृत कार्य अनुभव एवं व्यावसायिक बुद्धि है । उन्होंने दो स्नातकोत्तर उपाधियां प्राप्त की हैं एवं वह फेडेरेशन ऑफ इंश्योरेंस इंस्टीट्यूट की फेलो रही हैं। सुरेश एक समर्पित पर्यावरणविद एवं ध्यान रखने वाली महिला हैं, वह पिछले 26 सालों से वायुसेना पत्नी कल्याण संघ की सक्रिय सदस्य रही हैं, एवं उन्होंने हमेशा अपनी संगिनियों एवं उनके परिजनों की ज़िंदगी का स्तर सुधारने के लिये कार्य किया है।