प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने उन अधूरी या अटकी पड़ी आवास परियोजनाओं को पूरा करने हेतु प्राथमिकता के आधार पर ऋण वित्त पोषण उपलब्ध कराने के लिए एक 'स्पेशल विंडो' फंड बनाने को मंजूरी दे दी, जो किफायती और मध्यम-आय आवास सेक्टर के अंतर्गत आती हैं।
इस फंड के लिए सरकार एक प्रायोजक की भूमिका निभाएगी। सरकार इसमें 10,000 करोड़ रुपये तक की कुल राशि लगाएगी।
यह फंड दरअसल श्रेणी-II के एक एआईएफ (वैकल्पिक निवेश फंड) डेट फंड के रूप में होगा, जो सेबी में पंजीकृत होगा। इस फंड का संचालन प्रोफेशनल ढंग से होगा।
स्पेशल विंडो के तहत प्रथम एआईएफ के लिए यह प्रस्ताव किया गया है कि एसबीआईकैप वेंचर्स लिमिटेड की सेवाएं निवेश प्रबंधक के रूप में ली जाएंगी।
यह फंड उन डेवलपरों को राहत प्रदान करेगा, जिन्हें अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने और अंतत: घर खरीदने वालों को उनके मकानों की डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए बड़ी धनराशि की आवश्यकता है।
रियल एस्टेट उद्योग चूंकि कई अन्य उद्योगों से अंतर्निहित रूप से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस सेक्टर में तेजी से विकास होने से इसका सकारात्मक असर होगा और देश की अर्थव्यवस्था के अन्य प्रमुख सेक्टरों की भी मुश्किलें कम होंगी।
माननीय वित्त मंत्री ने 14 सितम्बर को घोषणा की थी कि किफायती और मध्यम-आय आवासीय परियोजनाओं के लिए एक स्पेशल विंडो सृजित की जाएगी। यह स्पेशल विंडो उन आवास परियोजनाओं के लिए अत्यंत जरूरी धनराशि उपलब्ध कराएगी, जो अटकी पड़ी हैं।
इसके बाद अंतर-मंत्रालय परामर्श के साथ-साथ आवास वित्त कंपनियों, बैंकों, एनबीएफसी, निवेशकों और रियल एस्टेट के डेवलपरों सहित आवास उद्योग के हितधारकों के साथ भी कई परामर्श बैठकें आयोजित की गईं। घर खरीदारों, डेवलपरों, ऋणदाताओं और निवेशकों के समक्ष मौजूद उन समस्याओं पर गौर किया गया जिनका निराकरण स्पेशल विंडो के जरिए किया जा सकता है।