निर्भया घटना के बाद जांच एजेंसियों द्वारा अपनाये जाने वाली चिकित्सा कानूनी प्रक्रिया और प्रोटोकाल बदल गए हैं। मैंने अपनी फिल्म में इस घटना की कल्पित कथा कही है ताकि यह दिखाया जा सके कि घटना के बाद यदि निर्भया जीवित होती तो क्या अनुभव होता। यह बात फिल्म 'रंगनायिकी' के निर्देशक दयाल पद्मनाभन ने कही। उन्होंने कहा कि यह फिल्म 1981 में बनी फिल्म 'रंगनाययिकी' के प्रति सम्मान व्यक्त करना है। इस फिल्म ने मुझपर गहरा प्रभाव छोड़ा।
फिल्म में घटना के सामाजिक पक्ष पर फोकस किया गया है और फिल्मों में बलात्कार के विषय से जुड़ी बदले की कहानी से इसे अलग रखा गया है। समान गीतों लेकिन अलग-अलग धुनों के सहारे इसमें तीन प्राचीन शास्त्रीय गानों का इस्तेमाल किया गया है। इस फिल्म को देखकर एक यौन अपराध की शिकार लड़की ने शिकायत दर्ज कराने का साहस जुटाया। मैं समझता हूं कि यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।
फिल्म 'होम ओनर' की निर्देशक लक्ष्मी रामकृष्णन भी संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थीं। आईएफएफआई में उनकी फिल्म को पहली बार चुना गया है। यह फिल्म उम्रदराज जोड़ी की कहानी है जो चेन्नई की बाढ़ में घर में फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को और अधिक संख्या में कैमरे के पीछे होना चाहिए। उनके पास कहने के लिए कहानियां हैं। मैं वास्तविक घटनाओं से प्ररित हुई और महिलाओं को अपनी क्षमता सिद्ध करनी होगी। सुश्री लक्ष्मी ने कहा कि रियलिटी टीवी-शो की एंकर के रूप में प्राप्त अनुभव से उन्हें मदद मिली। उन्होंने कहा कि पुरुष या महिला केन्द्रित विषयों को चुनने में किसी तरह की स्पर्धा नहीं है और यह साथ-साथ चलने वाले दो साथियों जैसा है।
फिल्म 'माया' के निर्देशक विकास चन्द्रा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस फिल्म का विचार उनके व्यक्तिगत जीवन में होने वाले नुकसान की भरपाई करने की आवश्यकता से आया। वह उसे शुद्धिकरण का अनुभव मानते हैं। इस अवसर पर फोटोग्राफी निर्देशक प्रियका सिंह भी मौजूद थीं।
संवाददाता सम्मेलन में फिल्म 'फोटो प्रेम' के निर्देशक आदित्य राठी और गायत्री पाटिल ने कहा कि किस तरह उनके वास्तविक जीवन के अनुभवों ने उन्हें फिल्म बनाने की प्रेरणा दी।