प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली ( अनाधिकृत कॉलोनियों में निवासियों के संपत्ति के अधिकारों की मान्यता ) विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी। इस विधेयक से दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को अपनी संपत्ति का पंजीकरण कराने में मदद मिलेगी। उन्हें संपत्तियों के पंजीकरण और स्टैम्प शुल्क में भी रियायत मिलेगी।
दिल्ली में सरकारी और निजी भूमि पर बनी अनाधिकृत कॉलोनियों में करीब 40 लाख लोग रहते हैं। इन कॉलोनियों में जमीन या बने हुए मकान का मालिकाना हक आमतौर पावर ऑफ अटॉर्नी, विल, एग्रीमेंट टू सेल तथा पेमेंट एंड पोजेशन दस्तावेज के आधार पर मिला हुआ है। इन कॉलोनियों में अचल संपत्तियां, पंजीकरण प्राधिकरणों द्वारा पंजीकृत नहीं है। ऐसे में इनमें रहने वालों को इन संपत्तियों के मालिकाना हक का कोई टाइटेल डॉक्यूमेंट नहीं है, जिसकी वजह से ऐसी संपत्तियों के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा किसी तरह की ऋण सुविधा नहीं दी जाती है।
उच्चतम न्यायालय ने एसएलपी (सी) 13917 में 2009 के सूरज लैंप एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम हरियाणा सरकार और अन्य के मामले में 11 अक्टूबर, 2016 को सुनाए गए फैसले में कहा था कि सेल एग्रीमेंट/जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी या विल ट्रांजेक्शन को किसी भी संपत्ति का वैधानिक तौर पर हस्तांतरण या बेचा जाना नहीं माना जा सकता और उन्हें एग्रीमेंट ऑफ सेल के रूप में ही माना जाएगा।
सरकार ने इन अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें पावर ऑफ अटॉर्नी, एग्रीमेंट टू सेल, विल, पोजेशन लेटर और अन्य ऐसे दस्तावेजों के आधार पर मालिकाना हक देने का फैसला किया है जो ऐसी संपत्तियों के लिए खरीद का प्रमाण है। सरकार ने इसके साथ ही ऐसी कॉलोनियों के विकास तथा वहां मौजूद अवसंरचना और जन सुविधाओं को भी बेहतर बनाने का फैसला किया है।
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अनाधिकृत कॉलोनियों में निवासियों के संपत्ति के अधिकारों की मान्यता) विधेयक 2019 की व्यवस्थाओं के अनुसार पंजीकरण तथा स्टैंप ड्यूटी में दी जाने वाली इस रियायत से दिल्ली की 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 40 लाख से ज्यादा लोग लाभान्वित होंगे। इसे 29 अक्टूबर को अधिसूचित किया गया था।
आवास एवं शहरी विकास मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली के उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों के लोगों को मालिकाना हक देने का प्रस्ताव रखा था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 23 अक्टूबर को हुई बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी और इसके बाद 29 अक्टूबर को इसे अधिसूचित कर दिया गया।
दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों में संपत्तियों का मालिकाना हक पंजीकरण या बिना पंजीकरण के पावर ऑफ अटॉर्नी, एग्रीमेंट टू सेल, विल, पोजेशन तथा पेमेंट लेटर के आधार पर कई बार हस्तांतरित किया गया। इस प्रक्रिया में लगने वाली स्टैंप ड्यूटी का न तो कभी भुगतान किया गया और न ही इसका आकलन किया गया।
आमतौर पर कनवेंयस डीड या ऑथोराइजेशन स्लिप पर स्टैंप ड्यूटी, सर्कल रेट के आधार पर वसूली जाती है।