रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उज्बेकिस्तान के ताशकंद में शास्त्री स्ट्रीट में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 के युद्ध के बाद ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के एक दिन बाद 11 जनवरी 1966 को शास्त्री जी ने ताशकंद में अंतिम सांस ली।
रक्षा मंत्री ने ट्वीट की एक श्रृंखला में कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने मुश्किल समय में भारत का नेतृत्व किया और अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति एवं संकल्प के माध्यम से देश में नई ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने कहा “जय जवान, जय किसान के नारे के जरिये शास्त्री जी ने युद्ध के समय में राष्ट्र को एकजुट किया और देश के लोगों में स्वाभिमान और सम्मान की भावना को मजबूत किया।”
राजनाथ सिंह ने शास्त्री जी को सादगी और ईमानदारी का प्रतीक बताया, जिन्होंने सार्वजनिक जीवन में भी ईमानदारी को अपनाया। रक्षा मंत्री ने शास्त्री जी की याद में बनाए गए स्कूल का भी दौरा किया और वहां पढ़ने वाले बच्चों के साथ बातचीत की। उन्होंने भारत और हिंदी भाषा के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
रक्षा मंत्री शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने और उज्बेकिस्तान सरकार के साथ द्विपक्षीय बैठकों के लिए आधिकारिक तौर पर उज्बेकिस्तान की यात्रा पर हैं।
राजनाथ सिंह 2 नवंबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के प्रमुखों की परिषद् (सीएचजी) की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। 2-3 नवंबर को उनकी द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी। रक्षा मंत्री द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उज्बेकिस्तान के रक्षा मंत्री मेजर जनरल कुर्बानोव बखोदिर निजामोविच के साथ बैठक करेंगे।