रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा निर्माण कंपनियों से आग्रह किया कि वे 'मेक इन इंडिया' का हिस्सा बनें। उन्होंने 2025 तक रक्षा उद्योग को 26 अरब डॉलर तक पहुंचाने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। रक्षा मंत्री बैंकॉक, थाईलैंड में 'डिफेंस एंड सिक्योरिटी एग्जिबिशन- 2019' में इंडियन चैम्बर ऑफ कामर्स द्वारा आयोजित 'इंडिया राईजिंग' व्यापार गोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारत के रक्षा सैक्टर को प्राथमिकता दी जायेगी, ताकि आयात पर निर्भरता में कमी आ सके।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने भारत के रक्षा निर्यात को 2025 तक 5 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य बहुत महत्वाकांक्षी है, लेकिन पिछले दो वर्षों के दौरान इसके कारण भारत का रक्षा निर्यात लगभग 6 गुना हो गया है। उन्होंने कहा कि 2025 तक एयरोस्पेस, रक्षा सामान एवं सेवाओं में 10 अरब डॉलर का निवेश किये जाने की संभावना है, जिससे 20 से 30 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
रक्षा मंत्री ने निर्यात में तेजी लाने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाये गये विभिन्न कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रक्षा खनिज प्रक्रिया को 2016 में संशोधित किया गया था, ताकि घरेलू रक्षा रक्षा उद्योग को प्रोत्साहन मिल सके। उन्होंने बताया कि सरकार तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो रक्षा गलियारे स्थापित करेगी। रक्षा नवाचार केन्द्र कोयम्बटूर में चल रहा है, इसके अलावा रक्षा योजना समिति का गठन भी किया गया है, जिसके संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रस्तावित बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के बराबर में रक्षा निर्माण गलियारा बनाने की योजना तैयार की है।
रक्षा मंत्री ने 5-8 फरवरी, 2020 को लखनऊ में आयोजित होने वाले डेफएक्सपो में सक्रिय रूप से हिस्सेदारी करने के लिए घरेलू और विदेशी निवेशकों को आमंत्रित किया।