स्‍वयं सहायता समूहों और कारीगर क्‍लस्‍टरों को ‘जेम’ से जोड़ा जाएगा

 


 



 


गवर्नमेंट ई-मार्केटप्‍लेस खुद से एसएचजी और कारीगर क्‍लस्‍टरों को जोड़ने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय, राज्‍य सरकारों के एम्‍पोरियम और विकास आयोग, हस्‍तशिल्‍प के साथ मिलकर काम कर रहा है। इस आशय की घोषणा जेम के सीईओ तल्‍लीन कुमार ने दिल्‍ली में की। उत्‍पादों को वैसी स्थिति में एम्‍पोरियम उत्‍पादों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, जब भारत के कारीगरों द्वारा तैयार की जाने वाली अनूठी वस्‍तुओं को 'जेम' पर उपलब्‍ध कराया जाएगा। इसके तहत तकनीकी समाधानों को ध्‍यान में रखने की दिशा में काम जारी है, ताकि कार्यशील पूंजी और वस्‍तुओं के सही स्‍थान के बारे में जानकारियां क्रेताओं एवं विक्रेताओं को प्‍लेटफॉर्म पर उपलब्‍ध हो सकें।


3000 से भी अधिक स्‍टार्ट-अप्‍स को पहले ही जेम पर पंजीकृत किया जा चुका है और उन्‍हें अब तक 522 करोड़ रुपये की राशि के ऑर्डर मिले हैं। 58,101 से भी अधिक एमएसएमई (सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम) को इस प्‍लेटफॉर्म पर पंजीकृत किया जा चुका है और जेम पर हुई कुल सौदा राशि का 50 प्रतिशत एमएसएमई से ही प्राप्‍त हो रहा है।


जेम के सीईओ ने यह जानकारी दी कि जेम पोर्टल पर सकल वाणिज्यिक मूल्‍य (जीएमवी) 36,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुका है। 40 हजार से भी अधिक खरीदार संगठन इस खरीद पोर्टल पर पंजीकृत किये जा चुके हैं। जेम पर 2.95 लाख से भी अधिक विक्रेता/सेवाप्रदाता हैं। विक्रेताओं के पंजीकरण में लगने वाला औसत समय 20 दिनों से घटकर सिर्फ 2 दिन रह गया है। खरीदारी की अपेक्षाकृत छोटी प्रक्रिया और प्रतिस्‍पर्धी मूल्‍यों को ध्‍यान में रखते हुए सामान्‍य रूप से सरकारी निकाय और विशेषकर केन्‍द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (सीपीएसयू) अब बड़े पैमान पर जेम से खरीदारी कर रहे हैं।


जेम दरअसल एमएसएमई और स्‍टार्ट-अप्‍स की विकास गाथा में एक साझेदार बन गया है। जेम एसपीवी केन्‍द्र एवं राज्‍य सरकारों के संगठनों द्वारा कैशलेस, संपर्क रहित और कागज रहित ढंग से वस्‍तुओं एवं सेवाओं की खरीदारी हेतु बेहतरीन एवं पारदर्शी व्‍यवस्‍थाएं सुनिश्चित करने के लिए राष्‍ट्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल है। निरंतर नवाचार और पेशकश में बेहतरी के जरिए 'जेम' आगे चलकर दुनिया का सर्वोत्‍तम ई-मार्केटप्‍लेस के रूप में उभर कर सामने आएगा।


जेम दरअसल एक पूर्ण ऑनलाइन मार्केटप्‍लेस है, जहां सभी वास्‍तविक विक्रेता स्‍वयं का पंजीकरण कराते हैं और इस प्‍लेटफॉर्म पर सौदे करते हैं। सभी तरह के सत्‍यापन ऑनलाइन एकीकरण के जरिए होते हैं। जेम समावेश को बढ़ावा देने के साथ-साथ सरकार के साथ 'कारोबार में सुगमता' को भी प्रोत्‍साहित करता है। यह एक पूर्ण पारदर्शी ऑनलाइन मार्केटप्‍लेस है, जो न केवल सार्वजनिक खरीद में तेजी लाता है, बल्कि इसके साथ ही इस पूरी प्रक्रिया में व्‍यापक बचत (औसतन 15-25 प्रतिशत) भी सुनिश्चित करता है।


जेम नीतिगत प्रयोजन को अपने सही मुकाम पर पहुंचाना सुनिश्चित करता है, जिससे एसएमई लाभान्वित हो सकते हैं। इनमें एमएसएसमई वरीयता नीति, मेक इन इंडिया और स्‍टार्ट-अप्‍स शामिल हैं, जिन्‍हें नियम आधारित इलेक्‍ट्रॉनिक प्‍लेटफॉर्म पर कारगर ढंग से कार्यान्वित किया जा सकता है।