पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक विरासत से सीधा अनुभव कराने के उद्देश्य से आयोजित “डेस्टीनेशन नार्थ ईस्ट” का मंगलवार को समापन हो गया। पहली बार वाराणसी में आयोजित इस समारोह के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री डा. महेन्द्रनाथ पांडेय मौजूद थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में पूर्वोत्तर भारत का विकास काफी तेजी से बढ़ा है। इसमें आर्थिक विकास के साथ-साथ यातायात का विकास भी शामिल है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जल्दी हर भारतीयों का वह सपना भी पूरा होगा जब लोग अपनी गाड़ी से थाईलैंड और उससे आगे तक की भी यात्रा कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि वाराणसी खुद सांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहा है और इसलिए गंगा घाट पर ब्रह्मपुत्र उत्सव के आयोजन से जुड़े लोगों को धन्यवाद देता हूँ। उन्होंने ऐसे कार्यक्रम के आयोजन पर बल दिया और कहा कि लोग भारत की सांस्कृतिक विविधता से रूबरू होंगे और साथ ही पूरे भारत के लोगों को पूर्वोत्तर भारत को समझने में मदद मिलेगी। 23 से 26 नवम्बर 2019 तक आईआईटी, बीएचयू के परिसर में आयोजित इस समारोह में पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी आठ राज्य अपने-अपने राज्यों के हस्तशिल्प, हथकरघा, जैविक उत्पादों और सांस्कृतिक दलो के साथ भागीदारी किया।
समापन समारोह में मुख्य अतिथि डा. पांडेय के साथ विशिष्ट अतिथि के तौर केंद्रीय राज्य मंत्री, फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री रामेश्वर तेली, मणिपुर के मंत्री जयंत कुमार, रंजीत दत्ता, पूर्वोत्तर परिषद के सचिव के मॉस चेलाई, आईआईटी बीएचयू के निदेशक पीके जैन, पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर प्रवीण कुमार मौजूद थे।
डा. पांडेय ने इस आयोजन के लिए और पूर्वोत्तर भारत के दिव्य दर्शन के लिए केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह, उनके मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के साथ-साथ पूर्वोत्तर के राज्य से आये लोगों को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया और कहा कि गंगा और ब्रह्मपुत्र को जोड़ने का यह प्रयास लोगों को काफी रास आया है। अभी लोगों से बात हुई। वे ऐसे आयोजनों में और बढ़ोतरी चाहते हैं।
डॉ. पांडेय ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत को संस्कृत में प्राग ज्योतिपुर कहा जाता है जिसका अर्थ सबसे पहले रोशनी प्राप्त करने वाला होता है। उन्होंने पूर्वोत्तर भारत में कौशल विकास मंत्रालय की ओर से किए जा रहे कार्यों की भी चर्चा की और कहा कि गुवाहाटी में एक बड़े सेंटर की स्थापना की जा रही है जिससे दिल्ली पर निर्भरता कम होगी। उन्होंने कहा की पूर्वोत्तर भारत के जनजातियों के कौशलीकरण के लिए भी कई तरह के कार्य किए जा रहे हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने इस दौरान वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा की जा रही विकास कार्यों की चर्चा की।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित इस चार दिवसीय कार्यक्रम में स्थानीय दर्शकों को खूब भीड़ जुटी। विभिन्न स्टालों पर पूर्वोत्तर भारत के बने वस्त्र, कलाकृतियां, सजावट के सामान और खाने की वस्तुओं की भी भरपूर खरीदारी हुई। इससे पूर्वोत्तर भारत से आये व्यवसायियों में भी काफी उत्साह देखा गया। कार्यक्रम के अंतिम दिन मुख्य मंच से पपोन ने अपनी प्रस्तुति दी। इससे पूर्व के दिनों में शिलांग चैंबर चॉयर, सौरभि देवबर्मा, बॉरकुंग ह्रेंगखाब्ल, रेखा भारद्वाज जैसे प्रमुख कलाकारो ने प्रस्तुति दी थी।
समारोह के दौरान एक दिन व्यापारिक समुदाय को पूर्वोत्तर राज्यो में अवसरों का पता लगाने के लिए व्यापार सत्र का आयोजन भी किया गया। जैविक उत्पादों के संदर्भ में पूर्वोत्तर राज्यों के महत्व को ध्यान में रखते हुए जैविक उत्पादों, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यटन, जल विकास जैसे विषयों पर हर समूह संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया।
“डेस्टीनेशन नार्थ ईस्ट” का आयोजन इससे पूर्व दिल्ली और चंडीगढ़ में किया जा चुका है। इस 4 दिवसीय समारोह के दौरान दर्शकों को पूर्वोत्तर राज्यो के कारीगरों और कलाकारों द्वारा उनके हथकरघे और हस्तशिल्प का सीधा अनुभव देखने का अवसर प्राप्त हुआ।
समारोह में केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसी जैसे नोर्थ ईस्टर्न रीजन कम्यूनिटी रिसोर्स मैनेजमेंट, केन एंड बम्बू टेक्नोलोजी सेंटर (सीबीटीसी), नोर्थ ईस्टर्न रीजनल एग्रीकल्चर मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमिटेड, नोर्थ ईस्टर्न हैंडीक्राफ्ट एंड हैंडलूम डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एनईएचएचडीसी), ललित कला अकादमी और अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध केंद्र ने भी भागीदारी की।
दिनांक 23 नवंबर 2019 को इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने किया था। इस मौके पर पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास सचिव डॉ. इंदरजीत सिंह, पूर्वोत्तर परिषद के सचिव श्री के मॉस चेलाई, आसाम राइफल के डायरेक्टर जनरल सुखदीप सांगवान, अभिनेत्री जीनत अमान, पूर्व क्रिकेटर आरपी सिंह भी मौजूद थे।
पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटकों के लिए इको-पर्यटन, संस्कृति, विरासत और व्यापार के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध जनजातीय विरासत और संस्कृति क्षेत्र को शेष भारत से एक अलग पहचान दिलाती है। आठ पूर्वोत्तर राज्यों में कला और शिल्प क्षेत्र में विविधता क्षेत्र की एक ओर प्रमुख पहचान है। पूर्वोत्तर राज्यों में हस्तशिल्प हर किसी की दिनचर्या का एक हिस्सा है। “डेस्टीनेशन नार्थ ईस्ट समारोह” के दौरान उत्तर पूर्वी राज्यों के हर रूप की झलक मिली और लोगों को नजदीक से समझने और देखने का मौका दिया।