रिपोर्ट : अजीत कुमार
कोलकाता में 5 नवंबर को शुरू हो रहे चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ)-2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करेंगे। यह आईआईएसएफ का पांचवा संस्करण है, जिसका उद्घाटन कोलकाता के बिस्व बांग्ला कन्वेंशन सेंटर में किया जाएगा। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और विभागों तथा विज्ञान भारती (विभा) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किए जाने वाला यह वार्षिक आयोजन कोलकाता में 8 नवंबर तक चलेगा।
आईआईएसएफ-2019 भारत और दुनिया के दूसरे देशों के विद्यार्थियों, नवाचारी, शिल्पकारों, किसानों, वैज्ञानिकों तथा तकनीकविदों का समागम है, जिसमें ये सभी भारत की वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति का उत्सव मनाएंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष के महोत्सव का मुख्य विषय 'राइजेन इंडिया' (राष्ट्र को सशक्त बनाता अनुसंधान, नवाचार और विज्ञान) रखा गया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों का उत्सव मनाने के उद्देश्य से देशभर के विद्यार्थियों, अनुसंधानकर्ताओं, नवाचारियों, शिल्पकारों और आम लोगों को एक साथ लाने का संभवतः सबसे बड़ा मंच 'आईआईएसएफ' है।
युवाओं के मन में विज्ञान के प्रति रुझान पैदा करने और विज्ञान लोकप्रियकरण के भागीदारों की नेटवर्किंग को मजबूत करने का भी यह एक प्रयत्न है। आईआईएसएफ-2019 में भारत और दुनिया से करीब 12 हजार लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। विज्ञान महोत्सव की प्रमुख गतिविधियां मुख्य रूप से कोलकाता के बिश्व बांग्ला कन्वेंशन सेंटर और साइंस सिटी में आयोजित की जा रही हैं। महोत्सव के दौरान कुछ कार्यक्रम कोलकाता के सत्यजित रे फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, बोस इंस्टीट्यूट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायलॉजी में भी आयोजित किए जाएंगे। आईआईएसएफ-2019 के दौरान 28 से अधिक विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होंगे।
www.scienceindiafest.org पर इस महोत्सव से जुड़ी विस्तृत जानकारी और कुछ खास कार्यक्रमों की विस्तृत झलकियां देखी जा सकती है। विज्ञान महोत्सव का एक मुख्य आकर्षण छात्र विज्ञान गांव (स्टूडेंट साइंस विलेज) है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों के करीब 2500 स्कूली विद्यार्थियों को आमंत्रित किया गया है। इन छात्रों को संसद सदस्यों ने अपने संसदीय क्षेत्रों में प्रधानमंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत चुने गए गांवों से नामांकित किया है। छात्र विज्ञान गांव में शामिल होने के लिए प्रत्येक संसद सदस्यों को पांच छात्रों और एक शिक्षक को नामांकित किया गया है।
इन छात्रों को यहां कई प्रकार की विज्ञान से जुड़ी मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होने और वैज्ञानिकों एवं तकनीकविदों से सीधा संवाद करने का मौका मिल सकता है। विज्ञान महोत्सव का दूसरा सबसे बड़ा कार्यक्रम युवा वैज्ञानिक सम्मेलन है, जिसमें सर्वाधिक प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद है। इस कार्यक्रम में करीब 1500 युवा वैज्ञानिक और शोधकर्ता शामिल हो सकते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों से सीधा संवाद कर सकेंगे। इसके अलावा, उन्हें अपने पोस्टर और शोध आलेख प्रस्तुत करने का मौका भी मिलेगा।
विज्ञान महोसत्व में लगने वाली प्रदर्शनियां भी आकर्षण का केंद्र होंगी। मुख्य रूप से साइंस सिटी में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनी के माध्यम से भारत की वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षमता की झांकी देखने को मिल सकती है। नवीन उन्नत प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी और दिव्यांगों के लिए प्रदर्शनी भी इस अवसर पर लगायी जा रही हैं। बिश्व बांग्ला कन्वेंशन सेंटर में पुस्तक मेले का आयोजन भी किया जाएगा। विज्ञानिका नामक विज्ञान साहित्य समारोह इस वर्ष के आईआईएसएफ का एक अन्य आकर्षण होगा, जिसके अंतर्गत विज्ञान संचार की अनेक विधाओं से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
मीडिया के लिए दो दिवसीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मीडिया प्रदर्शनी का आयोजन भी होने जा रहा है। बोस इंस्टीट्यूट के साल्ट लेक सिटी स्थित नए परिसर में यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस महोत्सव में प्रमुख महिला वैज्ञानिकों और उद्यमियों की विशेष भूमिका को भी रेखांकित किया जाएगा। इस कार्यक्रम (महिला वैज्ञानिक एवं उद्यमियों की सभा) के अंतर्गत महिलाओं में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्यमिता विकास से जुड़े नए अवसरों की खोज की जाएगी। इस कार्यक्रम में करीब 700 महिला वैज्ञानिकों और उद्यमी शामिल हो सकते हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक विभाग है। इसे मई 1971 में देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों को बढ़ावा देने तथा वैज्ञानिक तथा तकनीकी गतिविधियों का आयोजन, समन्वय और प्रोत्साहन करने के लिए एक नोडल विभाग की भूमिका निभाने हेतु स्थापित किया गया था। यह भारत में विभिन्न स्वीकृत वैज्ञानिक परियोजनाओं को अनुदान प्रदान करता है। विभाग द्वारा भारत के विभिन्न शोधकर्ताओं को विदेशों में आयोजित सम्मेलनों में भाग लेने और प्रायोगिक कार्य करने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।
विज्ञान भारती (विभा),जिसे पहले 'स्वदेशी विज्ञान आंदोलन' के रूप में जाना जाता था। यह एक गैर लाभकारी संगठन है। यह भारत में आधुनिक प्रौद्योगिकी और प्राचीन विज्ञान के लोकप्रियकरण तथा कार्यान्वयन का कार्य करता है। इसकी स्थापना भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रख्यात वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी, जिसका नेतृत्व प्रोफेसर के.आई. वासु ने किया था।
विज्ञान प्रसार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार का एक स्वायत्त संस्थान है। इसे बड़े पैमाने पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लोकप्रियकरण करने हेतु वर्ष 1989 में स्थापित किया गया था। विज्ञान प्रसार का उद्देश्य समाज में वैज्ञानिक और तर्कसंगत दृष्टिकोण को यथासंभव व्यापक रूप से बढ़ावा देना और प्रचार-प्रसार करना है। विज्ञान लोकप्रियकरण से जुड़े कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, समन्वय करना तथा लोगों में वैज्ञानिक स्वभाव को विकसित करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
विज्ञान प्रसार द्वारा विभिन्न मीडिया, श्रव्य-दृश्य और प्रिंट एवं संचार के विभिन्न माध्यमों के सॉफ्टवेयर को विकसित किया जाता है। इसके द्वारा आमजन को वैज्ञानिक सिद्धांतों और व्यवहारों को समझने, उसकी सराहना करने और दैनिक जीवन में इसे उपयोग में लाने में सक्षम बनाया जाता है।