केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग तथा रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि ब्रिक्स के साथ भारत के जुड़ाव का काफी महत्व है, क्योंकि इससे एक अनिश्चित विश्व में स्थिरता और संतुलन आया है। गोयल ने ब्रासिलिया, ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स व्यापार मंत्रियों की बैठक में अपने विचार रखते हुए यह बात कही।
अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक परिदृश्य पर आयोजित सत्र में अपने विचार रखते हुए श्री गोयल ने कहा कि एकतरफा उपायों के कारण बढ़ते संरक्षणवाद और व्यापार से जुड़े तनावों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अनिश्चितता के इस माहौल में भारत कम किए हुए कॉरपोरेट करों के साथ आर्थिक अवसरों की लगातार पेशकश कर रहा है, जो दुनिया में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धात्मक है, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए उदार नियम हैं और रीयल स्टेट तथा सूक्ष्म एवं लघु उद्यम जैसे क्षेत्रों में नई जान डालने वाले हैं।
गोयल ने कहा कि भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) लाखों लोगों की आजीविका हैं। 50 मिलियन एमएसएमई 100 मिलियन से अधिक नौकरियां सृजित करते हैं और भारत के निर्यात में 40 प्रतिशत योगदान देते हैं। ये भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन गैर प्रशुल्क बाधा (एनटीबी) के रूप में संरक्षणवाद की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण खासतौर से विकासशील देशों से इन उद्यमों की बाजार तक पहुंच नहीं हो पा रही है। विकसित देश विकासशील देशों में शुल्क हटाने पर जोर देते हुए खुले और मुक्त व्यापार की वकालत करते हैं, लेकिन एनटीबी के रूप में वे अधिक बाधाएं उत्पन्न करते हैं, जिनके कारण आर्थिक अनिश्चितता पैदा होती है और विकासशील और कम विकसित देशों (एलडीसी) में व्यापार करने की लागत बढ़ जाती है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने ब्रिक्स देशों से आग्रह किया कि वे विकास के उत्प्रेरक, गरीबी उन्मूलन और नौकरी के सृजन के रूप में व्यापार पर एक बार फिर ध्यान दें। गोयल ने कहा कि वर्ष 2018 में ब्रिक्स देश विश्व के जीडीपी का 25 प्रतिशत, विश्व की आबादी का 50 प्रतिशत और विश्व के वाणिज्य वस्तु व्यापार का 20 प्रतिशत थे। उनके पास प्राकृतिक संसाधन, मानव पूंजी और वित्तीय पहुंच थी तथा उनकी वैश्विक विकास का साधन बनने और नवोन्मेष तथा उद्यम में अग्रणी बनने की संभावना थी।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने एडवांसिंग ब्रिक्स ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट कॉ-ऑपरेशन- द रोड अहेड के बारे में सत्र में अपने संबोधन में ब्रिक्स देशों से आग्रह किया कि वे डिजिटल बुनियादी ढांचा, कौशल और संस्थानों को विकसित करें, जिनमें विकासशील देशों और एलडीसी पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाए, साथ ही उन्होंने कुछ देशों की अति संरक्षणवादी मूल्य निर्धारण के प्रतिकूल प्रभाव को भी रेखांकित किया, जिसे कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा किया जाता है और जिसका लाखों छोटे या खुदरा व्यापारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने दोहराया कि ई-कॉमर्स कंपनियों को कानून की सच्ची भावना का पालन करना चाहिए। अपने संबोधन में वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि डब्ल्यूटीओ सुधार प्रक्रिया में विकासशील देशों के विशेष और विभेदकारी बर्ताव जैसे मूलभूत सिद्धांत और सर्वसम्मति पर आधारित निर्णय करने की भावना कमजोर न पड़े। उन्होंने ब्रिक्स देशों से आग्रह किया कि वे डब्ल्यूटीओ के भीतर सुधारों को आकार देने की दिशा में सामूहिक रूप से आगे बढ़ें ताकि आधुनिक प्रौद्योगिकीय और व्यापार संबंधी माहौल में उसके महत्व और प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सके।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने व्यापार और उद्योग मंत्रियों की बैठक में अपने समापन भाषण में कहा कि ब्रिक्स की व्यापार और निवेश संवर्धन एजेंसियों के बीच इस बैठक में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें देशों के बीच सहयोग कायम करने और ब्रिक्स सदस्य देशों के बीच व्यापार बढ़ाने की रूपरेखा प्रदान की गई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि समझौता ज्ञापन से व्यापार और विपणन अध्ययन को बढ़ाने में मदद मिलेगी और ब्रिक्स देशों में व्यापार को सरल बनाने के उपायों में खाईयों को कम किया जा सकेगा।
पीयूष गोयल ने सभी ब्रिक्स सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे ब्राजील की अध्यक्षता के दौरान सहमत सभी क्षेत्रों खासतौर से एमएसएमई में सहयोग की पहल, बौद्धिक संपदा अधिकारों, ई-वाणिज्य, तकनीकी विनियमों, निवेश को सरल बनाने और व्यापार और निवेश को सहयोग के रूप में बढ़ाने में हुई गति को बरकरार रखें। इससे साझेदारों के लिए मूल्यवर्धित परिणाम प्राप्त करने को प्रोत्साहन मिलेगा।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने कहा कि संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में खुली, निष्पक्ष, पारदर्शी और समग्र बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के संकल्प की झलक मिलती है। उन्होंने यह भी कहा कि जैसा कि संयुक्त विज्ञप्ति ब्रिक्स के नेताओं के घोषणा पत्र की आधार है, यह विश्व को एक मुक्त और निष्पक्ष व्यापार तथा नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिए भी एक मजबूत संदेश देती है। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता दोहराई कि भारत का सहयोग का मॉडल भारत के साझेदार देशों की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं से प्रेरित है।