उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि देश सभी क्षेत्रों में तेज बदलाव से गुजर रहा है तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन के आह्वान ने देश को तेज गति से काम पूरा करने की नयी सोच और दिशा दी है। उन्होंने कहा कि ऐसे में राज्यपालों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बदलाव की यह गति बनायी रखी जाए तथा सामूहिक और सहयोगी प्रयासों से इसके सकारात्मक परिणाम प्रापत किए जाएं।
नायडू ने राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के 50 वें सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि राज्यपाल अपने गहन अनुभवों के आधार पर देश के विकास प्रक्रिया की रूपरेखा तय करने में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे पास अपने एक भारत को श्रेष्ठ भारत बनाने का इससे बेहतर और कोई समय नहीं हो सकता। उन्होंने राज्यपालों से भारतीयता की इस भावना को प्रोत्साहित करने में मदद की अपील की। उन्होंने राज्यपालों का ध्यान देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और भाषाओं तथा प्रत्येक राज्य की साहित्यिक विरासत की ओर आकृष्ट करते हुए इनके संरक्षण पर जोर दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा “आपको स्थानीय संस्कृति, त्योहारों और विभिन्न व्यंजनों के संरक्षण के प्रयासों का समर्थन करना चाहिए। आपको स्वस्थ खान-पान और स्वस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहित करना चाहिए। आपको स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों के जीविका का साधन बनने वाली स्थानीय कलाओं और कार्यक्रमों के संरक्षण को भी बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने राज्यपालों से यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि स्थानीय भाषाओं को प्रशासनिक कार्यों तथा जनसंपर्क वाले सार्वजनिक क्षेत्रों में उचित स्थान मिले।
उपराष्ट्रपति ने भाषाओं को क्षेत्र विशेष की संस्कृति का कोष बताते हुए उपराज्यपालों से अनुरोध किया कि वे मातृभाषाओं के संरक्षण तथा उन्हें प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा का माध्यम बनाए जाने के लिए राज्य सरकारों को प्रोत्साहित करें।
नायडू ने राज्यपालों का ध्यान औपनिवेशिक प्रथाओं की ओर आकृष्ट करते हुए उनकी समीक्षा करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने इसके लिए गणमान्य लोगों को महामहिम कह कर संबोधित करने तथा विश्विद्यालयों में दीक्षांत समारोह के मौके पर पहनी जाने वाली विशेष पोषाक का उदाहरण देते हुए कहा कि इन प्रथाओं को बदलकर इन्हें भारतीयता का पुट दिया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति ने जल के अंधाधुंध दोहन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जल संरक्षण की तत्काल जरुरत पर बल दिया। किसानों की आय दोगुनी करने तथा कृषि को टिकाऊ और आर्थिक रूप से ज्यादा फायदेमंद बनाने के सरकारी पहलों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए कृषि क्षेत्र में कई ढ़ांचागत सुधार लागू किए गए हैं।
कृषि को देश की संस्कृति का आधार बताते हुए नायडू ने कृषि क्षेत्र में किए जाने वाले अनुसंधान कार्यों का फायदा सीधे किसानों तक जानकारी पहुंचाने तथा उन्हें विविध फसलें उगाने और आय बढ़ाने के लिए बागवानी,डेयरी,पोल्ट्री तथा मछली पालन जैसी कृषि से जुड़ी अन्य गतिविधियां अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने पर भी जोर दिया दिया।
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में, नवाचार को प्रोत्साहित करने और उत्कृष्टता के लिए निरंतर खोज पर ध्यान केंद्रित करना होगा। उन्होंने कहा कि अनुसंधान और शिक्षण सुविधाओं को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मानकों के अनुरूप बनाना होगा।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित राज्यपालों के इस दो दिवसीय सम्मेलन की अध्यक्षता राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने की। राज्यों के राज्यपाल और उपराज्यपालों तथा संघ शासित प्रदेशों के प्रशासकों के अलावा सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, आईटी और संचार, कानून तथा न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद, जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा भी उपस्थित थे।