कोयला मंत्रालय ने देश में कोयला खनन को पर्यावरण के दृष्टिकोण से सतत बनाने के उद्देश्य से सतत विकास प्रकोष्ठ स्थापित करने का निर्णय लिया है। प्रकोष्ठ का उद्देश्य खनन कार्य बंद होने के बाद पर्यावरण को होने वाले नुकसान से निपटना है। यह निर्णय इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि भविष्य में बहुत सी निजी कंपनियां कोयला खनन से जुडेंगी। खानों की उचित पुर्नवास के लिए वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यासों के अनुरूप दिशा-निर्देश तैयार किये जाने चाहिए।
सतत विकास प्रकोष्ठ (एसडीसी) योजना तैयार करेगा और कोयला कंपनियों को सलाह देगा। उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग और खनन का पर्यावरण पर न्यूनतम नुकसान विशेष ध्यान दिया जायेगा। इस संबंध में प्रकोष्ठ कोयला मंत्रालय के नोडल प्वाइंट के रूप में काम करेगा। प्रकोष्ठ पर्यावरण नुकसान को कम करने के उपायों पर एक नीतिगत फ्रेमवर्क तैयार करेगा।
एसडीसी के प्रमुख कार्य होंगे – आंकड़ों का संग्रह, आंकड़ों का विश्लेषण, सूचनाओं की प्रस्तुति, सूचना आधारित योजना तैयार करना, सर्वोत्तम अभ्यासों को अपनाना, परामर्श, नवोन्मेषी विचार, स्थल विशेष दृष्टिकोण ज्ञान को साझा करना तथा लोगों और समुदायों के जीवन को आसान बनाना। ये सभी कार्य योजनाबद्ध तरीके से पूरे किये जाएंगे।