अब तक 70 लाख से अधिक फास्टैग जारी किए जा चुके हैं। सबसे अधिक 1,35,583 फास्टैग 26 नवम्बर 2019 को जारी किए गए, जबकि इससे पहले दिन 1.03 लाख टैग जारी किए गए थे। रोजाना औसतन जारी किए जाने वाले टैग की संख्या जुलाई में आठ हजार थी जो नवम्बर 2019 में बढ़कर पैंतीस हजार पर पहुंच गई यानी इसमें 330 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई। टैग की लागत में 21 नवम्बर को छूट देने की घोषणा के बाद फास्टैग जारी करने में 130 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। फास्टैग 560 से अधिक टोल प्लाजाओं पर स्वीकार किए जा रहे हैं और रोजाना कुछ और प्लाजाओं को इसमें जोड़ा जा रहा है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और एनएचएआईकी प्रमुख पहल राष्ट्रीय इलैक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (फास्टैग) कार्यक्रम को अखिल भारतीय आधार पर लागू किया गया है ताकि यातायात में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके और वाहनों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित हो तथापैसिव रेडियो फ्रीक्वैन्सी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए अधिसूचित दरों के अनुसार उपयोगकर्ता शुल्क का संग्रह हो सके। डिजिटल भुगतानों को प्रोत्साहित करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए 1 दिसंबर 2019तक राष्ट्रीय राजमार्गों पर शुल्क प्लाजाओं की सभी लेनों को "फास्टैग लेन" घोषित करना अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि एक लेन (प्रत्येक दिशा में) का प्रावधान है जिसे फास्टैग और भुगतान के अन्य तरीकों को स्वीकार करने के लिए हाइब्रिड लेन के रूप में रखा जाएगा।
उपरोक्त आदेश के साथ, फास्टैग के जरिये रोजाना होने वाला कारोबार इस वर्ष जुलाई में 8.8 लाख से बढ़कर नवम्बर 2019 में 11.2 लाख पर पहुंच गया, जबकि इसी अवधि में औसतन रोजाना होने वाला संग्रह 11.2 लाख रूपये से बढ़कर 19.5 करोड़ रूपये पर पहुंच गया।
रोजाना आने-जाने वाले कुछ लोगों को फास्टैग में कम राशि होने के कारण टोल प्लाजा पर दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इन दिक्कतों को कम करने के लिए, रोज आने-जाने वाले लोगों को सलाह दी जाती है कि वे फास्टैग से जुड़े खाते/पर्स में पर्याप्त राशि रखें। फास्टैग खाते में धनराशि रिचार्ज के सभी उपलब्ध तरीकों जैसे डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग और यूपीआई से डाली जा सकती है।