प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र के वधावन में एक नए प्रमुख बंदरगाह की स्थापना के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी। परियोजना की कुल लागत 65,544.54 करोड़ रुपये होने की संभावना है।
वधावन बंदरगाह ‘भू-स्वामित्व मॉडल’ में विकसित किया जाएगा। जवाहर लाल नेहरू पोर्ट के साथ एक शीर्ष भागीदार के रूप में एक स्पेशल पर्पज व्हिकल (एसपीवी) स्थापित किया जाएगा। जेएनपीटी की इस परियोजना को लागू करने में इक्विटी भागीदारी 50 प्रतिशत के बराबर या इससे अधिक होगी। एसपीवी अंतर्क्षेत्र के साथ कनेक्टिविटी स्थापित करने के अलावा भूमि सुधार, ब्रेक वॉटर के निर्माण सहित बंदरगाह बुनियादी ढांचे का विकास करेगा। सभी व्यापारिक गतिविधियां निजी ड्वेलेपर्स द्वारा पीपीपी मोड के तहत की जायेंगी।
जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) भारत में सबसे बड़ा है। इसका विश्व में 28वां स्थान है तथा इसका यातायात 5.1 मिलियन टीईयू (20-फुट इक्वेलेंट यूनिट्स) है। वर्ष 2023 तक 10 मिलियन टीईयू की क्षमता वृद्धि करने वाले चौथे टर्मिनल के पूरा होने के बाद भी जवाहर लाल नेहरू पोर्ट विश्व में 17वां सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट होगा। वधावन बंदरगाह के विकास के बाद भारत विश्व के शीर्ष 10 कंटेनर बंदरगाह वाले देशों में शामिल हो जाएगा।
महाराष्ट्र में देश का सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह जेएनपीटी में है। यह महाराष्ट्र, उत्तर कर्नाटक, तेलंगाना के अंतर्क्षेत्र और गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, एनसीआर, पंजाब और उत्तर प्रदेश के द्वितीयक अंतर्क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करता है। विश्व के सबसे बड़े कंटेनर जहाजों के रखरखाव के लिए डीप ड्राफ्ट बंदरगाह की जरूरत है, जो 10 मिलियन टीईयू की योजित क्षमता का पूरा उपयोग किये जाने के बाद जेएनपीटी बंदरगाह से अधिप्लावन यातायात की जरूरतों को भी पूरा करे। जेएनपीटी बंदरगाह और मुंद्रा देश के दो सबसे बड़े कंटेनर रखरखाव करने वाले बंदरगाह हैं। इनकी ड्राफ्ट क्रमशः 15एम और 16 एम है, जबकि दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर रखरखाव करने वाले आधुनिक डीप ड्राफ्ट बंदरगाह के लिए 18एम से 20 एम के ड्राफ्ट की जरूरत है। तट के निकट वधावन बंदरगाह में प्राकृतिक ड्राफ्ट लगभग 20 मीटर है, जिससे इस बंदरगाह पर बड़े जहाजों के रखरखाव की संभावना है। वधावन बंदरगाह का विकास 16,000 से 25,000 टीईयू क्षमता के कंटेनर जहाजों को आमंत्रित करने में समर्थ बनाएगा। इससे अर्थव्यवस्थाओं के स्तर में बढ़ोतरी और लॉजिस्टिक लागत कम होने के लाभ मिलेंगे।
कंटेनर जहाजों के लगातार बढ़ रहे आकार के कारण भारत के पश्चिमी तट पर डीप ड्राफ्ट बंदरगाह का विकास करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। मूल्य संवर्धन विनिर्माण क्षेत्र के कारण कार्गो के बढ़ते हुए कंटेनरीकरण से मूल्य संवर्धन आयात के रखरखाव तथा विनिर्माण गतिविधियों में मदद के लिए निर्यात हेतु हमारे बंदरगाह बुनायादी ढांचे को तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। जेएनपीटी अंतर्क्षेत्र में कंटेनर यातायात 2020-25 तक मौजूदा 4.5 एमटीईयू से बढ़ कर 10.1 एमटीईयू पहुंचने की उम्मीद है। इस अवधि तक जेएनपीटी की क्षमता का पूरा दोहन हो चुका होगा। लॉजिस्टिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की योजना और मेक इन इंडिया अभियान द्वारा भारत से अधिक से अधिक निर्यात और विनिर्माण संसाधन के बाद कंटेनर यातायात की मांग में और बढ़ोतरी होगी।