वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा, 2019-20 पेश की। सर्वेक्षण में जोर देकर कहा गया है कि विनिवेश से सरकार के कुल प्रदर्शन और संपूर्ण उत्पादकता में सुधार हुआ है और उसकी धन सृजन की संभावनाएं खुली हैं। इसका अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। समग्र विनिवेश, मुख्य रूप से रणनीतिक बिक्री के मार्ग के जरिए इस्तेमाल अधिक लाभ के लिए, दक्षता को बढ़ाने, प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और सीपीएसई में प्रबंधन में व्यवसायिकता को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
समीक्षा में कहा गया है कि महत्वपूर्ण निवेश का मुख्य केन्द्र बिन्दु कम महत्वपूर्ण व्यवसायों से निकालकर उसे इन सीपीएसई की आर्थिक संभावना को अधिकतम बनाने की दिशा में निर्देशित किया जाना चाहिए। इस कदम की बदौलत पूंजी खासतौर से सार्वजनिक बुनियादी ढांचे जैसे – सड़कों, बिजली, ट्रांसमिशन लाइनों, सीवेज प्रणालियों, सिंचाई प्रणालियों, रेलवे और शहरी बुनियादी ढांचे पर इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराई जा सकेगी। यह उत्साहवर्धक है कि निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा (डीआईपीएएम) प्रावधानों को सरल और कारगर बना दिया गया है।
समीक्षा के अनुसार मंत्रिमंडल ने विभिन्न सीपीएसई में विनिवेश को सिद्धांत रूप से मंजूरी दे दी है। इसे प्रबल तरीके से किए जाने की आवश्यकता है ताकि वित्तीय उपलब्धता और सार्वजनिक संसाधनों के दक्ष आवंटन में सुधार किया जा सके।
समीक्षा में कहा गया है कि 38 विभिन्न मंत्रालयों / विभागों के अंतर्गत करीब 264 सीपीएसई हैं। इनमें से 13 मंत्रालयों / विभागों में 10 सीपीएसई है जिनमें से प्रत्येक उनके अधिकार क्षेत्र में है। यह स्पष्ट है कि इनमें से अनेक सीपीएसई लाभकारी हैं, हालांकि आमतौर पर सीपीएसई का बाजार में अपेक्षाकृत कम प्रदर्शन रहता है। जैसा कि वर्ष 2014-2019 की अवधि के दौरान बीएसई सेंसेक्स के 38 प्रतिशत रिटर्न की तुलना में बीएसई सीपीएसई सूचकांक का औसत रिटर्न केवल 4 प्रतिशत रहा है।
समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि सरकार सीपीएसई में सूचीबद्ध अपने हित को पृथक कॉरपोरेट इकाई में हस्तांतरित कर सकती है। इस इकाई का प्रबंधन एक स्वतंत्र बोर्ड द्वारा किया जाएगा और इसे एक निर्धारित समय में इन सीपीएसई में सरकार के हितों का विनिवेश करने के लिए अधिदेशित किया जाएगा। इस कदम से विनिवेश कार्यक्रम में व्यवसायिकता और स्वायत्ता आएगी, जिसकी बदौलत इन सीपीएसई के आर्थिक प्रदर्शन में सुधार होगा।
समीक्षा में कहा गया है कि नवंबर, 2019 में भारत ने दशकभर से ज्यादा अरसे का अपना सबसे बड़ा निजीकरण अभियान प्रारंभ किया। चुनिंदा केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसई) में भारत सरकार की चुकता पूंजी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे लाने को “सैद्धांतिक” मंजूरी प्रदान की गई। निजीकरण से प्राप्त होने वाले दक्षता संबंधी लाभ की जांच करने तथा क्या निजीकरण के लाभ भारतीय संदर्भ में भी परिलक्षित हुए हैं या नहीं, इस बात का पता लगाने के लिए समीक्षा में उन सीपीएसई का विश्लेषण किया गया, जिनमें वर्ष 1999-2000 से 2003-04 तक की अवधि में महत्वपूर्ण विनिवेश किया गया था।
समीक्षा में प्रत्येक सीपीएसई के प्रदर्शन में हुए परिवर्तनों की भी पड़ताल की गई है। इसमें प्रत्येक कम्पनी में महत्वपूर्ण विनिवेश/निजीकरण से दस वर्ष पहले और दस वर्ष बाद की अवधि के प्रमुख वित्तीय संकेतकों में हुए सुधारों का भी अध्ययन किया गया है। पृथक रूप से अध्ययन करते हुए ऐसे प्रत्येक निजीकृत या प्राइवेटाइज्ड सीपीएसई, की शुद्ध संपत्ति, शुद्ध लाभ, सकल राजस्व, शुद्ध लाभ अंतर, निजीकरण के बाद की अवधि में हुई बिक्री में हुए सुधार की तुलना पूर्व निजीकरण की अवधि से की गई।